Sad Shayari in Hindi for Girlfriend | गर्लफ्रेंड के लिए शायरी
एक मुद्दत हो गई रूठा हूँ अपने-आप से
फिर मुझे मुझ से मिला दे ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!
जाने बरगश्ता है क्यूँ मुझ से ज़माने की हवा
अपने दामन की हवा दे ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!
हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए,
अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए,
हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी,
प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।
इतनी गहराई तक तो सागर भी सोता नहीं_
जितनी इन आँखों ने अपने पैमाने बना रक्खें हैं_
हिज़्र-ए-मक़बूल कहदो आपकी थी ही नहीं
हमने ही आपसे किनारे बना रक्खें हैं,,.
धुँधला गया वो चाँद भी,,,,
शबाब तेरा जब अँधेरों में चराग़ सा निखरा
ईदी मेरी ईद पर इक तेरी दीद से ही मिल गई
ज़िन्दगी की बगीया जैसे काँटों से फूलों में बदल गई,,
हसीन गुलाब अब किताबों में मुरझाने लगे हैं,
लब उनके जो अब औरों संग मुस्कुराने लगे हैं,
दीवानों की महफिल थी , वीरान कर गए ,
हस्ती खेलती ज़िंदगी थी ,शमशान कर गए।
दिल में राज छिपा है… दिखाऊं कैसे,
हो गयी है मोहाब्बत आपसे बताऊँ कैसे,
दुनिया कहती है मत लिखो नाम दिल पर,
जो नाम दिल में है उसे मिटाऊं कैसे।
यादे कभी भुलाई नहीं जाती….
गलतियां कभी दोहराई नहीं जाती….
आज भी उतना ही प्यार करते है हम आपसे,
पर अब क्या करे तकदीर से
सच्ची मोहब्बत मिलाई नहीं जाती ।।
एक किताब की तरह हु मैं ,
कितनी भी पुरानी हो जाये पर उसके अल्फाज
नहीं बदलेंगे ,
कभी याद आये हमारी तो पन्ने पलट कर देख लेना ,
हम आज जैसे है कल भी वैसे ही मिलेंगें !!
ये बरसात मुझे तुम्हारी याद दिलाता है…
बारिश गिरने पर तुम्हारा एहसास दिलाता है…
अगर बंजर हो ज़मीं और खुला हो आसमान…
हमारा हाल भी कुछ ऐसा हो जाता है…
यह बरसात मुझे तुम्हारी याद दिलाता है..!!
जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम !
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम !
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा!
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम !!
किस्मत यह मेरा इम्तेहान ले रही है
तड़पकर यह मुझे दर्द दे रही है,
दिल से कभी भी मैंने उसे दूर नहीं किया
फिर क्यों बेवफाई का वह इलज़ाम दे रही है….!!
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें.., !!
अब हम भी दुनिया के रंग में रंगने लगे है,
जो ज़रूरत के समय काम आए सिर्फ
उन्हे याद रखने लगे है,
……
क्या फायदा उन लोगो को याद करके
जो दिल से नफ़रत और चेहरे पर प्यार
का दिखावा करने लगे है।
मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं ही अकेला था,
बाकि सारा काफिला भी उसका था,
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था.
हमने बहुत चाहा था पर प न सके,
उसके सिवा ख्यालो में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके..!!
जाँ से गुज़रे भी तो दरिया से गुज़ारेंगे तुम्हें
साथ मत छोड़ना हम पार उतारेंगे तुम्हें
……….
तुम सुनो या न सुनो हाथ बढ़ाओ न बढ़ाओ
डूबते डूबते इक बार पुकारेंगे तुम्हें
……….
दिल पे आता ही नहीं फ़स्ल-ए-तरब में कोई फूल
जान, इस शाख़-ए-शजर पर तो न वारेंगे तुम्हें,.
अपनी तबीयत के हालात हमसे बताए ना गए।
वो आए ही इतनी जल्दी में के ज़ख्म दिखाए ना गए।।
और दस्तक भी दी उसने उस चौखट पर जाकर ।
जहा बुझे हुए दिए फिर्से जलाए ना गए।।
आग के पास कभी मोम को ला कर देखूं
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगा कर देखूं
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोंचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूं,,,.
कुछ गैरों में अपनों की तलाश थी,
कुछ बेगानों को अपना बनाने की आस थी..!!
बहुत कोशिशें की, पर फिर भी
ना तलाश खत्म हुयी, ना ही आस पूरी हुयी..!!
दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था..
तुम्हारे घर का सफ़र इस क़दर सख्त न था..!
………
इतने मसरूफ़ थे हम जाने के तैयारी में..
खड़े थे तुम और तुम्हें देखने का वक्त न था..!
……..
मैं जिस की खोज में ख़ुद खो गया था मेले में..
कहीं वो मेरा ही एहसास तो कमबख्त न था..!!
इस मुहब्बत में तुमको मैं खुशी दे न सकी
कोई तू राह बता कैसे मैं बेवफाई करूँ.
दर्द के शोलों को हवा दी हमने तेरे दिल में
इन गुनाहों से तोबा अब मैं कैसे करूँ..
अगर वो दिल से चाहता होगा आपको
तो वो ज़रूर आएगा आपके पास
…….
अगर वो दिल से याद करता होगा आपको
तो वो ज़रूर आएगा आपके पास,
…….
अरे अगर वो सच में आपसे प्यार करता
होगा ना तो वो ज़रूर आएगा अापके पास….!!
मोहब्बत बड़ी कमाल की चीज़ होती है,
जिनका मिलना मुकमल नहीं होता….
इसलिए दोस्तो जो भी है, रिलेशनशिप में है..
वो जाए तारों के शहर में
क्यूकी धरती पे ये दुनिया हमें प्यार ना करने देगी।
सारी रात जगा जिसके लिए
वो किसी और के लिए जागने लगी है।।
किस्मत ने ऐसा मारा है खंजर
ज़िन्दगी भी अब सांसे छोड़ने लगी है।।
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा
………
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा
………
ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा,.
उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ,
पाबन्द कर गयी है किसी की नजर मुझे,
ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ,
काफ़िर बना गई तेरी काफ़िर-नज़र मुझे।
तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं,
सनम की याद में हरदम खुदा को याद करते हैं,
उन्हीं के इश्क़ में हम नाला-ओ-फरियाद करते हैं,
इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं।
साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती,
दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती,
अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त,
कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।
यादों को भुलाने में कुछ देर तो लगती है,
आँखों को सुलाने में कुछ देर तो लगती है,
किसी शख्स को भुला देना इतना आसान नहीं,
दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती है।