Ma Ki Mamta Shayari in Hindi | माँ की ममता पर शायरी हिंदी में
Ma Ki Mamta Shayari in Hindi | माँ की ममता शायरी | Ma Ke Liye Shayari in Hindi | मां के लिए शायरी हिंदी | जिसकी माँ नहीं होती शायरी | Maa ki Mamta Shayari in Hindi | माँ की ममता पर शायरी हिंदी में.
Ma Ki Mamta Shayari in Hindi
शहर में जाकर पढ़ने वाले भूल गए
किसकी माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था.
घुटनों से रेंगते-रेंगते जबपैरों पर खड़ा हो गया,
माँ तेरी ममता की छाँव में,जाने कब बड़ा हो गया।
सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं.
चलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं
कितने भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी.
मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी,
सिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया.
जिस के होने से मैं खुदको मुक्कम्मल मानती हूँ ,
मेरे रब के बाद मैं बस अपने माँ बाप को जानती हूँ.
जब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की
‘रानी ’माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है.
हजारों गम हों फिर भी मैं ख़ुशी से फूल जाता हूँ
जब हंसती है मेरी माँ मैं हर गम भूल जाता हूँ.
ना जाने माँ क्या मिलाया करती हैं आटे में
ये घर जैसी रोटियाँ और कहीं मिलती नहीं.
Ma Ki Mamta Shayari in Hindi
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।।
सर पर जो हाथ फेरे तो हिम्मत मिल जाये,
माँ एक बार मुस्कुरा दे तो जन्नत मिल जाये।
आज रोटी के पीछे भागता हूँ तो याद आता है
मुझे रोटी खिलाने के लिए माँ मेरे पीछे भागती थी.
माँ से बड़ा कोई,
नहीं मां से ज्यादा प्यार करने वाला कोई नहीं,
माँ की तरह परवाह करने वाला कोई नहीं।
सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ।
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।