Intezaar Shayari in Hindi | 300+ इंतज़ार शायरी हिंदी में
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Intezaar Shayari in Hindi
कब उनकी पलकों से इज़हार होगा;
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा;
गुज़र रही है रात उनकी याद में;
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा!
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें;
हम खुद निशान बन गए वार क्या करें;
मर गए हम मगर खुलो रही आँखें;
अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!
हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;
आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं;
हवा टकरा रही है शमा से बार-बार;
और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है।
ए पलक तु बन्द हो जा,
ख्बाबों में उसकी सूरत तो नजर आयेगी
इन्तजार तो सुबह दुबारा शुरू होगी
कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी
उनका भी कभी हम दीदार करते है
उनसे भी कभी हम प्यार करते है
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है !
उसके इंतजार के मारे है हम..
बस उसकी यादों के सहारे है हम…
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब..??
जिसे दुनियाँ से जीतना था आज उसी से हारे है हम..
तेरे इंतजार मे कब से उदास बैठे है
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे है
तू एक नज़र हम को देख ले इस
आस मे कब से बेकरार बैठे है !!
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है!
जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है!
तेरे चेहरे की उदासी बता रही है!
मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!
उसने कहा अब किसका इंतज़ार है;
मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है;
उसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है ‘मसरूर’;
मैंने कहा अब भी मेरा हौसला बाकी है!
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है;
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है;
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद;
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
आँखों में बसी है प्यारी सूरत तेरी;
और दिल में बसा है तेरा प्यार;
चाहे तू कबूल करे या ना करे;
हमें रहेगा तेरा इंतज़ार!
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करू
वो तो खुशबू है कैसे गिरफ्तार करू
उसकी मोहब्बत में मेरा हक नही लेकिन
दिल करता है की आखरी साँस तक उसका इन्तजार करू
होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का;
शायद नज़रों से वो बात हो जाए;
इस उम्मीद से करते हैं इंतज़ार रात का;
कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए!
ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुजर गए,
आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुजर गए,
ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतजार में,
रास्ते को घर बनाए ज़माने गुजर गए।
आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
फिर आज कोई ग़ज़ल तेरे नाम न हो जाये,
कहीं लिखते लिखते शाम न हो जाये,
कर रहे हैं इंतज़ार तेरी मोहब्बत का,
इसी इंतज़ार में ज़िन्दगी तमाम न हो जाये।
करीब रहो तो इतना कि रिश्तों में प्यार रहे,
दूर भी रहो इतना कि आने का इंतजार रहे,
रखों उम्मीद रिश्तों कि दरमिया इतनी,
कि टूट जाए उम्मीद पर रिश्ते बरकरार रहे!!
मजा तो हमने इंतजार में देखा है,
चाहत का असर प्यार में देखा है,
लोग ढूंढ़ते हैं जिसे मंदिर मस्जिद में,
उस खुदा को मैने आपमें देखा है.
आँखों को इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है ?
कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।
कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर,
वो मिले भी तो एक किनारा बनकर,
हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह,
बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर।