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Bewafa Shayari in Urdu
तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना,
तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना,
मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना,
मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।
जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊं।
खो गयी मेरी मोहब्बत, बेवफ़ाई के दलदल में,
मगर इन आँखो को अब भी वफ़ा की तलाश है।
वफा के बदले बेवफाई ना दिया कर,
मेरी उमीद ठुकरा कर इन्कार ना किया कर,
तेरी मौहब्बत में हम सब कुछ गवां बैठे,
जान चली जायेगी इम्तिहान ना लिया कर।
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे,
लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।
तुम बेवफा नहीं ये तो धड़कनें भी कहती हैं,
अपनी मज़बूरिओं का एक पैगाम तो भेज देते।
बढ़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया,
वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह।
वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला…
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
बेवफायी का मौसम भी अब यहाँ आने लगा है,
वो फिर से किसी और को देख कर मुस्कुराने लगा है।
पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,
बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया
Bewafa Shayari in Urdu
अच्छा होता जो उस से प्यार न हुआ होता,
चैन से रहते हम जो दीदार न हुआ होता,
हम पहुँच चुके होते अपनी मंज़िल पर,
अगर उस बेवफा पर ऐतबार न हुआ होता।
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर,
जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।
दिमाग पर जोर डाल के गिनते हो गलतियाँ मेरी,
कभी दिल पे हाथ रख के पूछो क़सूर किसका था।
काम आ सकीं ना अपनी वफ़ाएं तो क्या करें,
उस बेवफा को भूल ना जाएं तो क्या करें।
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में आग लगा कर आया हूँ।
इतना ही गुरुर है तो मुकाबला इश्क से कर ऐ बेवफा,
हुस्न पर क्या इतराना जो बस मेहमान है कुछ दिन का।
मुझे भी शौक़ न था दास्ताँ सुनाने का,
मोहसिन उस ने भी पूछा था हाल वैसे ही।
मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ
पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।
मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है,
अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।
हम आ गए हैं तह-ए-दाम तो नसीब अपना,
वरना उस ने तो फेंका था जाल वैसे ही।
Bewafa Shayari in Hindi
आप बेवफा होंगे सोचा ही नहीं था,
आप भी कभी खफा होंगे सोचा नहीं था,
जो गीत लिखे थे कभी प्यार पर तेरे,
वही गीत रुसवा होंगे सोचा ही नहीं था।
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना,
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना।
हमारी तरफ अब वो कम देखते हैं,
ये वो नजरें नहीं जिनको हम देखते हैं।
बेवफा दुनिया में कौन सारी जिंदगी साथ देगा तेरा,
लोग तो दफना कर भूल जाते हैं कि कब्र कौन सी थी
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।
मुझे मालूम है हम उनके बिना जी नहीं सकते,
उनका भी यही हाल है मगर किसी और के लिये।
हम बेवफा हैं ऐलान किये देते हैं,
चल तेरे काम को आसान किये देते हैं।
किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।
मोहब्बत से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं,
बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं।
आख़िर तुम भी आइने की तरह ही निकले,
जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए।
Bewafa Shayari in Hindi
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,
करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए।
उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी,
अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।
मिला के खाक में दिल को वो इस अंदाज़ में बोले,
मिट्टी का खिलौना था, कहाँ रखने के काबिल था।
जिगर हो जायेगा छलनी आँखें खूब रोयेंगीं,
बेवफा लोगों से निभा कर के कुछ नहीं मिलता।
बेवफाओं की इस दुनियां में संभलकर चलना,
यहाँ मुहब्बत से भी बर्बाद कर देते हैं लोग।
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी,
वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी,
ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है,
तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी।
तेरी बेवफाई ने हमारा ये हाल कर दिया है,
हम नहीं रोते लोग हमें देख कर रोते हैं।
तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।
अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती,
तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती,
इस तरह लोग मरने की आरज़ू ना करते,
अगर मोहब्बत में बेवफ़ाई ना होती।
तुझे है मशक-ए-सितम का मलाल वैसे ही,
हमारी जान थी, जान पर वबाल वैसे ही
Bewafa Shayari in Hindi
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई,
जी नहीं ये मानता बेवफ़ा पहले से था।
उसकी ख्वाहिश है कि आँगन में उतरे सूरज,
भूल बैठा है कि खुद मोम का घर रखता है।
इस दौर में की थी जिस से वफ़ा की उम्मीद,
आखिर को उसी के हाथ का पत्थर लगा मुझे।
ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने,
है बेवफा गम-ऐ-मोहब्बत क्या जाने,
जिन्हें मिलता है हर मोड़ पर नया हमसफर,
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने।
जब तक न लगे एक बेवफाई की ठोकर,
हर किसी को अपने महबूब पे नाज़ होता है।
नजर उनकी जुबाँ उनकी अजब है कि इस पर भी,
नजर कुछ और कहती है जुबाँ कुछ और कहती है।
दिल क्या मिलाओगे कि हमें हो गया यक़ीं,
तुम से तो ख़ाक में भी मिलाया न जाएगा।